जहाँ रोशनी की तिजारत ,
डाकू और लुटेरे रखवाले हैं |
वहां क्या दुखड़ा रोना रोज -रोज व्यवस्था का
देश ही समूचा जब नियति के हवाले है |
अब यहाँ कोई बीमारी से नहीं
भूख से या फिर हादसों में बेमौत मरते हैं |
जानवरों से तो उनकी दोस्ती है
वे सिर्फ आम आदमी से डरते हैं |
वैसे तो सब कुछ ठीक -ठाक है ,
महज गंगा उलटी बह रही है |
वे तो मालामाल और खुशहाल हैं ,
अकेली माँ भारती व्यथा सह रही है ||
बहुत खुब लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी लगी| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएं"वे तो मालामाल और खुशहाल हैं,
जवाब देंहटाएंअकेली माँ भारती व्यथा सह रही है"
सच्ची और सटीक प्रस्तुति
अँधेरे के सौदागर करते हैं
जवाब देंहटाएंजहाँ रोशनी की तिजारत ,
डाकू और लुटेरे रखवाले हैं |
वहां क्या दुखड़ा रोना रोज -रोज व्यवस्था का
देश ही समूचा जब नियति के हवाले है |
बहुत खूब...........
वे तो मालामाल और खुशहाल हैं ,
जवाब देंहटाएंअकेली माँ भारती व्यथा सह रही है ||
बहुत ही शानदार लिखा है आपने। बधाई
http://www.tikhatadka.blogspot.com/
सुन्दर अभिव्यक्ति ,शुभ कामनाएं । कुछ हट कर खबरों को पढ़ना चाहें तो जरूर पढ़े - " "खबरों की दुनियाँ"
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जय माँ भारती
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