Kavita-Manjari
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बुधवार, 8 सितंबर 2010
नंदन वन
यों है कहने को नंदन वन
पल्लवित वृक्ष दो चार
शेष भूखे नंगे बच्चों से क्षुप
श्रीहीन दीन बालाओं- सी
मुरझाईं बेलें भी हैं कुछ
जिस ओर विहंग दृष्टि डालें
अधसूखे ठूठ हजार खड़े
उपवन उद्यान कहो कुछ भी
दर्शन थोड़े बस नाम बड़े
यों है कहने को नंदन वन
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