रविवार, 12 सितंबर 2010

अपनी किस्मत गढ़ना सीखें

आओ मित्रो पढ़ना सीखें
बदहाली से लड़ना सीखें
क्यों हम अब भी जिल्लत ढोयें
किस्मत का दुखड़ा क्यों रोयें
सूरज बने ,रोशनी बाँटें
बेकारी से लड़ना सीखें |
आओ मित्रो पढ़ना  सीखें ||
कब तक यों मजबूर रहेंगे
भूख और अपमान सहेंगे
क्यों मोहताज रहें औरों के
अपनी किस्मत गढ़ना सीखें |
आओ मित्रो पढ़ना सीखें  ||
बदहाली से समझोते को
हम अब क्यों मजबूर रहें
हम हैं सब मर्जी के मालिक
क्यों बंधुआ मजदूर रहें
अपनी पाताली छवि तोड़ें
आसमान पर चढ़ाना सीखें |
आओ मित्रो पढ़ना सीखें  ||

  

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