आदर्शों की लगा रहे बढ़- चढ़ कर बोली
जिन्हें भारती की गरिमा का ध्यान नहीं है
जो गौरव अनुभव करते जनमत ठुकरा कर
प्रजातंत्र के प्रति जिनका सम्मान नहीं है |
उनका भारत में कोई स्थान नहीं है ||
संवेदन ,साँसें तक आयातित हैं जिनकी
अपनी जिनकी कोई एक जुबान नहीं है
मिला रहे पश्चिम के सुर में जो अपना सुर
जिन्हें देश की धड़कन की पहचान नहीं है |
उनका भारत में कोई स्थान नहीं है | |
आग लगा कर क्षेत्रवाद की आज देश में
खड़ी कर रहे दीवारें जो हर प्रदेश में
कोशिश जो कर रहे दिलों के बंटवारे की
हिला रहे हैं बुनियादें भाईचारे की
जिनका संविधान के प्रति ईमान नहीं है |
उनका भारत में कोई स्थान नहीं है | |
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