गुरुवार, 9 सितंबर 2010

कविता का सृजन .

जब अनुभूतियों के बबंडर उठते हैं
उमड़ता है भावनाओं का ज्वार, मन के समुद्र में
कल्पना की हठीली लहरें मचलती हैं
करने आलिंगन अनंत आकाश का
और छोटा पड़ जाता है मन का आँगन
भाव विलास के लिए
तब शब्दों के धरातल पर थिरकता है मन
उस क्षण होता है किसी संजीविनी कविता का  सृजन .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें